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होश में आओ, अब ना बैठों मयखानों में …

शब्द बहुत कुछ कह जाते हैं...
शब्द बहुत कुछ कह जाते हैं...
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होश में आओ, अब ना बैठों मयखानों में !
कि चर्चे वतन की बर्बादी के हैं, अब आसमानों में !!

आँखें खुली रखों तुम देश के मतदाताओं
उड़ रही हैं धूल धर्म की, राजनीति के मैदानों में !

दुश्मन दर पर तैयार हैं, होली खून की खेलने !
और बँट रहा मुल्क अपना, हिंदू मुसलमानों में !!

ये रैलियाँ चुनाव प्रचार की हैं, या साजिश कोई !
घुल रहा हैं जहर खूब, अब जनता के कानों में !!

बदहाली का ज़िक्र नही, विकास की बात नही !
कर रहे वक़्त जाया, आपसी तंज़ और तानो में !!

ये चुनाव नही एक शादी सामाजिक लगती हैं !
कार्ड की तरह बाँटे टिकट, खुद के ठिकानो में !!

बता कर बाहरी देश के मस्तक “मोदी” को !
पप्पू फँस ही बैठे, खुद ही खुद के बयानों में !!

जनता जेब छुपा रही, घिरकर चोरों के कबीलें में
कोई चारा खा गया, किसी ने लूटा कोयले की खानों में !!

दिखती हैं होशियार बेटी फिल्मों के दंगल में !
महफूज नही मगर “गायत्री” खुद के मकानों में !!

मैली बहुत हैं “जीत”, ये वर्दी सरकारी साहबों की !
रखवाले खुद अस्मत लूट रहे, क़ानून की थानों में !!

गले लगाओं सबको, हैं प्रेम ही मज़हब अपना
छोड़ो भटकना, ना ढुंढ़ो खुद को गीता और क़ुराणों में !

करो मजबूत कंधा अपना, हैं बस नसीहत यहीं !
रखा क्या हैं भला , मुफ़्त के सरकारी दानों में !!
जितेंद्र अग्रवाल “जीत”
मुंबई..मो.08080134259

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