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एक ख्वाब तेरे साथ
हो जाती हैं ओझल आँखों से नींद
शहनाई की गूँज के साथ
बैठा हूँ सामने मंडप के
लेकर तेरा मैं हाथों में हाथ
यू होती हैं रोज रूबरू तू ख्वाबों में
दुल्हन के लिबास में
हंसता हैं चाँद भी और झूमते हैं
तारें भी आकाश में !!
हसरत पूरी होती हैं संग तेरे
रात के खवाबों में
देखता हूँ तुम्हे लेटे हुए
बिस्तर पर गुलाबों में
चमकता हैं बदन पूरा
कोहिनूर की तरह
बाते हैं खट्टी मीठी
तेरी अंगूर की तरह
हूँ लेटा तेरी बाहों के
तकिये मखमली पर
हो जेसे शबनम की बूंदे
खिलती हुई कॅली पर
लबों से लबों का
शहद पी लेता हूँ
कुछ पलों में
जिंदगी जी लेता हूँ
कि निकल आती हैं आहें मीठी
आनंद के अहसास में
यू होती हैं रोज रूबरू तू ख्वाबों में
दुल्हन के लिबास में !!
गीले गीले काले बाल
कसी कमर तक बिखरे हैं
सीने पर पानी की बूंदे
जेसे तारे जमी पे उतरे हैं
भीग रहे हैं अकेले हम
रिमझिम बरसात में
थाम रखा हैं चेहरा मेरा
मेहन्दी लगे हाथ ने
कशिश चाहत की
प्यासी प्यासी निगाहों में हैं
मेरे सपनों की रानी
आज मेरी बाहों में हैं
करीब हैं इतनी तू बीच अपने
हवा भी ना पार हो सके
बंद कर रख लूँ आँखों में तुझे
क़ि पूरा तेरा दीदार हो सके
घुल जाए रूह में तू
कि नाम तेरा ही आए मेरी हर साँस में
यू होती हैं रोज रूबरू तू ख्वाबों में
दुल्हन के लिबास में !!
बेसब्र हैं दिल और धड़कनें तेज
तेरे आने की आस में
आएगी ख्वाबों की परी कभी
हक़ीकत में ढलकर
चल रही हैं सूइया इसी विश्वास में
यू होती हैं रोज रूबरू तू ख्वाबों में
दुल्हन के लिबास में
हंसता हैं चाँद भी और झूमते हैं
तारें भी आकाश में !!
जितेंद्र अग्रवाल “जीत”
मुंबई, मो. 08080134259
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