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अपने इर्द गिर्द मौजूद सभी समस्याओं और कुरीतियों को एक कविता की माला में पिरोने का एक छोटा सा प्रयास…..कृपया पूरी रचना ज़रूर पढ़िए !
कहीं हादसे सड़कों पर, कही पानी सर के पार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही झटके भूकंप के, कही झगड़ों में नरसंहार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही मचती हैं भगदड, कही कोई भूख से लाचार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही हैं चलती गोलियाँ, कही कोई दुश्मन का शिकार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही झूलते फन्दो पर, कही आग में राख घर बार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही नशे की बेहोशी, कही बीमारियों का भंडार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही भयानक महामारी, कही जहर का संचार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कहीं धमाके आतंक के, कही मासूम का बलात्कार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही हैं गिरती बिजलियाँ, कही ग़रीबों का अत्याचार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही लड़ाई धर्म की, कही साबित निर्दोष गुनाहगार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही अपहरण बच्चो का, कहीं काया का कारोबार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही दंगे दौलत के, कही भाई का भाई पे खून सवार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही गिरती इमारते, कही जानवर कोई ख़ूँख़ार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही दहशत गुण्डों की, कही शेर किसानों पर साहूकार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही ख़टकती बेवफ़ाई, कही मर कर प्यार का इज़हार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही पर काम नही, कही पर अब रहना दुश्वार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही हवेलियाँ सुनसान, कही छोटा मकान शहर का कारागार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही अकेलापन मन का, कही मन में चिंताओं का गुब्बार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही इंसान बिल्कुल बेफ़िक्र, कही हद से ज़्यादा होशियार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही दहेज की दानवता, कही रिश्ता खून का दागदार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही कुरीति मृत्युभोज की, कही अंधी आस्था पर खर्च हज़ार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही शादियाँ करोड़ो की, कही कफ़न का पैसा भी उधार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
कही निकम्मे सियासी सूरमा, कही कोई वतन पर निसार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
“जीत” किस किस की लूँ खबर, पूरा देश ही जब बीमार हो रहा हैं !
रोज कहर कुदरत का थोक में मौत का व्यापार हो रहा हैं !
जितेंद्र अग्रवाल “जीत”
मुंबई..मो. 08080134259
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