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अगर हिंद का हर आदमी अब्दुल कलाम हो जाएँ !!

शब्द बहुत कुछ कह जाते हैं...
शब्द बहुत कुछ कह जाते हैं...
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आतंक के ठेकेदारों का काम तमाम हो जाएँ
मज़हब के हत्यारों का कुछ इंतज़ाम हो जाएँ
मंदिर में गाएँ आरती अल्लाह की हिंदू ह्रदय कोई
मस्जिद में मुल्लाह-ए-बांग में राम राम हो जाएँ
अगर हिंद का हर आदमी अब्दुल कलाम हो जाएँ !!

विराट ह्रदय वाले वो टूटी दीवारों के ग़रीबखाने में रहते थे
शांति की उस मिसाल को दुनियावालें मिसाइल मेन कहते थे
सीधे सरल शांत शालीन मगर मगज से बड़े वो विद्वान थे
वैज्ञानिक बुलाते थे उनको मगर मेरी समझ में वो खुद विज्ञान थे
काम में लग्न थी ऐसी उनकी चाहे भूखे पेट सुबह से शाम हो जाएँ
रातोरात देश अपना महान हो जाएँ…….अगर हिंद का हर आदमी अब्दुल कलाम हो जाएँ !!

सिर्फ़ दिल ही क्या हिन्दुस्तान तो उनके रक्त में था
सिर्फ़ राष्ट्रपति ही नही नाम उनका सच्चे देशभक्त में था
सच्चाई की शक्ति उनकी मासूम आँखों में विधमान थी
जब उनके हाथों में पोकरण परमाणु परीक्षण की कमान थी
हस्ती थी कुछ ऐसी उनकी क़ि फिदा उनपे हर इंसान हो जाएँ
इंसान भी स्वयं भगवान हो जाएँ……अगर हिंद का हर आदमी अब्दुल कलाम हो जाएँ !!

हुए विदा मुस्कुरातें दुनिया से महज कुछ हज़ार की विरासत के साथ
पदमभूषण भारत रत्न और चन्द पोशाकें एक टूटी इमारत के साथ
पढ़ता हूँ कोई किस्सा जब कभी उनका प्रेरणा मुझे भी मिलती हैं
हैं सब कुछ भरा भरा खाली मगर एक देशभक्त की कमी खलती हैं
होकर नतमस्तक पवित्र मन से उनको सबका सलाम हो जाएँ
बहने एक दूजे की गीता और क़ुरान हो जाएँ…..अगर हिंद का हर आदमी अब्दुल कलाम हो जाएँ !!

लेखक:- जितेंद्र हनुमान प्रसाद अग्रवाल “जीत”
मुंबई..मो.08080134259download

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