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एक चोट दिल पर….

शब्द बहुत कुछ कह जाते हैं...
शब्द बहुत कुछ कह जाते हैं...
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downloadवो एक नाज़ुक डाली हैं
जिससे निकली हुई हैं
रिश्तों की अनेक शाखाएँ !
उसने उठा रखी हैं
हर ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर
आख़िर वो हर घर की नीव जो हैं !
वो भूखी हैं सुबह से
उसने उपवास रखा हैं
अपने पति की लंबी उम्र के लिए !
आँखों में नींद हैं वो सोयी नही
क्योकि उसका राजा बेटा
रात भर सो नही पाया !
आँखें नम हैं उसकी
रानी बिटियाँ ससुराल जो जा रही हैं !
बैठी हैं घर की दहलीज पर
अपने भाई के इंतजार में
शायद आज रक्षाबन्धन हैं !
जानता कोई नही
उसके मन की वेदना
हर दुख को छुपाकर
मुस्कुरानें की आदत जो हैं उसमे !
मेहन्दी लगायी हैं
रात ही हाथों में
आज बर्तन भी धोने हैं
और आटा भी लगाना हैं !
हाथों में झाड़ू हैं
दिमाग़ में चूल्हेै पर चढ़ा दूध
बिना धोये कपड़े
और भी कई काम याद हैं उसको !
वो खुश हैं फिर भी
क्यूकीं उसका परिवार खुश हैं !
वो चुप हैं उसे मालूम हैं
सही परिभाषा धैर्य की !
अपने सपनो की कुर्बानी दी हैं उसने
अपनी ममता की खातिर !
कड़वे शब्द भी सुनती हैं सबके
क्योकि वो सच्चा प्यार करती हैं सबसे !
असहनीय पीड़ा सहन कर रही हैं
अपने घर को चिराग जो देना हैं उसे
सुने आँगन में खुशियों की थाली जो बजानी हैं !
आज वो भीख माँग रही हैं अपने जन्म की
और हम जो कहने को इंसान कहते हैं खुद को
आज तक नही समझ पाए उसको
क्योकि हम इंसान हैं
और वो माँ बहन और बेटी के रूप में भगवान !

लेखक:- जितेंद्र हनुमान प्रसाद अग्रवाल “जीत”
मुंबई मो. 08080134259

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