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बदलती दुनिया…

शब्द बहुत कुछ कह जाते हैं...
शब्द बहुत कुछ कह जाते हैं...
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पल पल रंग दुनिया बदलती हैं
जैसे टिक टिक घड़ी की सुईया बदलती हैं !!

बदलते हैं लोग यूँ ठिकाने अपने
जैसे घोंसला अपना चिड़िया बदलती हैं !!

बदल जाते हैं इरादे और वादें
ज्यों ही हवा अपनी डगरिया बदलती हैं !!

करके तबाह जिंदगी बेगुनाहों की
शमशान में जाने कितनी बस्तियाँ बदलती हैं !!

बदले नही तेवर गुनाहगारों के
जबकि हर रोज क़ानून की नीतियाँ बदलती हैं !!

छाया हैं हर कहीं अजब ही ख़ौफ़
गम में पल पल खुशियाँ बदलती हैं !!

हौसलें इतने बुलंद हैं आतंक के
सफेद रंग में रोज रंगीन साड़ियाँ बदलती हैं !!

मुश्किल हैं पहचान पाना अपराधियों को “जीत”
बेआबरू होकर चेहरा अपना हस्तियाँ बदलती हैं !!

कभी आगज़नी तो कभी आतंक
जालिम मौत भी हर रोज अपना हुलियाँ बदलती हैं !!

लेखक:- जितेंद्र हनुमान प्रसाद अग्रवाल मो. 08080134259

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